सच परेशान हो सकता है , पराजित नही :-
ये बात आप सभी जानते है और अनुभव भी किया होगा ।
और हमारे संतो ने भी कहा सांच बराबर तप नही झूठ बराबर पाप जाके हृदय सांच है , ताके हृदय आप अर्थात सच के बराबर कोई दूसरा तप नही है , और झूठ के बराबर दूसरा पाप और जिसके ह्रदय मे सच्चाई है , उसके ह्रदय मे स्वंय प्रभु विराजते है ।
लेकिन आज कल की बात करे तो ये दोहा उल्टा हो जाता है , यहा झूठ बराबर तप नही सांच बराबर पाप आज कल प्रत्येक वयक्ति हर क्षण झूठ बोलता है , और जैसा की कहा जाता है जब तक झूठ न बोले तो लोगो की रोटी हजम नही होती ।
। और एक बात हमे भले ही न सच बोलना आता हो लेकिन दूसरे से यही उम्मीद करते है की वो सच बोले वरना बड़ा गुस्सा आता है । मान लीजिए हमारे घर पर कोई आया और हमारा मिलने का मन नही तो हम बच्चों से या पत्नी से या किसी भी घर के सदस्य से कहलवा देगे की वो अभी घर पर नही है , लेकिन जब कुछ समय बाद हम किसी काम से घर पर गए और हमे यही जवाब मिले और बाद मे पता चले की वो घर पर ही था तो बड़ा गुस्सा आता है और कहेगे की कितना झूठा है ।
तो कहने का मतलब पूरी कोशिश करे की ज्यादा से ज्यादा सच बोले और एक बात सच बोलने वाले को ज्यादा कुछ याद नही करना पड़ता और झूठ बोलने वाला हमेशा फंसता है इसलिए सच बोले बड़ा आनंद आएगा ।
जय श्री राधे
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