बुधवार, 12 दिसंबर 2018

अतिथि देवो भव

अतिथि देवो भव :-

                                 जो बिना तिथि के या बिना बताए आए वो हैं , अतिथि और जिसके आने की बात पहले से पता हो वो हैं , मेहमान । 
              हमारे शास्त्रों मे अतिथि को भगवान का स्वरूप कहा जाता हैं , लेकिन अब ऐसा भी नही की मेहमान का अपमान करे नही , जो भी हमारे द्वार पर आए उसका सम्मान , स्वागत करना चाहिए । 




             और आज कल तो मोबाइल जैसी सुविधाओ के कारण आने की जानकारी पहले से ही मिल जाती हैं । 
                  ठीक हैं , उनका भी स्वागत करे वैसे तो आज कल रोटियां भी गिनकर ही बनती हैं , तो अतिथि हो या मेहमान बोझ बन जाते हैं । 
                   लेकिन ये बात ध्यान रखे बड़े ही भाग्य से हमारे द्वार पर कोई आता हैं , और वैसे भी किसी को खिलाने से कभी घटता नही बल्कि बढ़ता हैं , और अतिथि का मतलब केवल आपके रिश्तेदार या मित्र नही बल्कि द्वार पर आया एक भिखारी भी अतिथि हैं । 
               इसलिए सबका आदर करे और ये नियम हैं जो हम देगे वही बदले मे मिलेगा । 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Radhe radhe all of you