अतिथि देवो भव :-
जो बिना तिथि के या बिना बताए आए वो हैं , अतिथि और जिसके आने की बात पहले से पता हो वो हैं , मेहमान ।
हमारे शास्त्रों मे अतिथि को भगवान का स्वरूप कहा जाता हैं , लेकिन अब ऐसा भी नही की मेहमान का अपमान करे नही , जो भी हमारे द्वार पर आए उसका सम्मान , स्वागत करना चाहिए ।
और आज कल तो मोबाइल जैसी सुविधाओ के कारण आने की जानकारी पहले से ही मिल जाती हैं ।
ठीक हैं , उनका भी स्वागत करे वैसे तो आज कल रोटियां भी गिनकर ही बनती हैं , तो अतिथि हो या मेहमान बोझ बन जाते हैं ।
लेकिन ये बात ध्यान रखे बड़े ही भाग्य से हमारे द्वार पर कोई आता हैं , और वैसे भी किसी को खिलाने से कभी घटता नही बल्कि बढ़ता हैं , और अतिथि का मतलब केवल आपके रिश्तेदार या मित्र नही बल्कि द्वार पर आया एक भिखारी भी अतिथि हैं ।
इसलिए सबका आदर करे और ये नियम हैं जो हम देगे वही बदले मे मिलेगा ।
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Radhe radhe all of you