शुध्द आहार :-
कहा जाता हैं जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन्न हम जैसा भोजन करते हैं वैसे ही हमारे मन मे विचार बनते हैं , और यहा तक कहा जाता हैं , की अगर भोजन बनाने वाले के विचार गलत हैं , या वो गलत बोल रहा हैं , तो उसके विचार भोजन मिल जाते हैं ।
इसलिए भोजन बड़ी पवित्रता , स्वच्छता से बनाया जाय ।
लेकिन लेकिन ये बात तो बहुत दूर की हो गयी आज कल तो लोगो ने दूसरो को मारकर खाना शुरू कर दिया और उसको लोगो ने फैशन समझ लिया और जो नही खाते उन्हे गवार समझा जाता हैं , लेकिन हमारे समाज की ये सबसे बड़ी गलती हैं , और ये विदेशी सभ्यता का प्रभाव हैं , जो हमारे देश मे छा चुका हैं ।
. लेकिन विचार करिए किसी को कष्ट पहुचाकर हम कैसे सुखी हो सकते हैं , कभी नही इसलिए गलत खान - पान छोड़िए और शुध्द शाकाहारी भोजन करे ।
और अगर तुलसीदल डालकर ठाकुर जी को भोग लगाकर प्रसाद पाऐगे तो घर मे सुख , शांति , सम्रद्धि की कमी नही रहेगी ।
जय श्री राधे
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Radhe radhe all of you