दान का महत्व :-
दान दिए धन न घटहि कर सहाय रघुवीर तुलसी के जल पिबत सो घटहि न सरिता नीर
बाबा तुलसीदास जी ने कहा हैं , कभी दान देने से धन नही घटता हैं , ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार किसी नदी से जल पीने से उसका जल नही घटता ।
और दान की बड़ी महिमा हैं , कलयुग मे धर्म का यही एक चरण बाकी रह गया लेकिन लोगो को लगता हैं ।
ये सब पैसे कमाने के ढ़ंग हैं ।
लेकिन सच्चाई यही है , दान करने से आप का ही कल्याण होता है , लेकिन वयक्ति अपने उन अमीर दोस्तो , रिश्तेदारों को तो बड़ी - बड़ी पार्टी दे देते है , उन्हे महंगे - महंगे गिफ्ट दे देते है , लेकिन जिसे सच मे जरूरत है , उन्हे देने मे कई बार सोचते है ये क्या करेगा इस पैसे का कही ये कुछ गलत उपयोग तो नही करेगा आदि ।
लेकिन कभी भगवान ने सोचा की मै इसे इतना धन दे रहा हू ये क्या करेगा अच्छे ही काम करेगा या सिर्फ अपने परिवार और अपने मे ही खर्च करेगा ।
नही उन्होने हमे दिया है , हमे इस लायक बनाया है , ताकि हम किसी की मदद कर सके ।
और कई बार कहा जाता है , दान सदपात्र को करना चाहिए बिल्कुल जैसे कोई जरूरतमंद , कोई भजन करने वाला ब्राह्मण भजन करने वाले साधु संतो को मंदिरो मे भंडारे इत्यादि मे सहयोग भगवान के कार्यो मे सहयोग गऊ माता की सेवा मे आदि ।
तो खूब दान करे और दान देकर देखे आपको ब्याज सहित वापस मिलेगा लेकिन दान करते समय ये न सोचे की हमे वापस मिले दान अच्छी भावना से करे और हो सके दान देकर ये प्रचार बिल्कुल न करे हमने इतना दिया इतना दान किया गुप्त दान की बड़ी महिमा है ।
जय श्री राधे ।
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Radhe radhe all of you