शनिवार, 29 दिसंबर 2018

सच परेशान हो सकता है , पराजित नही

सच परेशान हो सकता है , पराजित नही :-

                                                                     ये बात आप सभी जानते है और अनुभव भी किया होगा । 
और हमारे संतो ने भी कहा सांच बराबर तप नही झूठ बराबर पाप जाके हृदय सांच है , ताके हृदय आप अर्थात सच के बराबर कोई दूसरा तप नही है , और झूठ के बराबर दूसरा पाप और जिसके ह्रदय मे सच्चाई है , उसके ह्रदय मे स्वंय प्रभु विराजते है । 

लेकिन आज कल की बात करे तो ये दोहा उल्टा हो जाता है , यहा झूठ बराबर तप नही सांच बराबर पाप आज कल प्रत्येक वयक्ति हर क्षण झूठ बोलता है , और जैसा की कहा जाता है जब तक झूठ न बोले तो लोगो की रोटी हजम नही होती । 
और इस मोबाइल ने तो लोगो को झूठ बोलने की और सुविधा दे दी । 

। और एक बात हमे भले ही न सच बोलना आता हो लेकिन दूसरे से यही उम्मीद करते है की वो सच बोले वरना बड़ा गुस्सा आता है । मान लीजिए हमारे घर पर कोई आया और हमारा मिलने का मन नही तो हम बच्चों से या पत्नी से या किसी भी घर के सदस्य से कहलवा देगे की वो अभी घर पर नही है , लेकिन जब कुछ समय बाद हम किसी काम से घर पर गए और हमे यही जवाब मिले और बाद मे पता चले की वो घर पर ही था तो बड़ा गुस्सा आता है और कहेगे की कितना झूठा है । 
तो कहने का मतलब पूरी कोशिश करे की ज्यादा से ज्यादा सच बोले और एक बात सच बोलने वाले को ज्यादा कुछ याद नही करना पड़ता और झूठ बोलने वाला हमेशा फंसता है इसलिए सच बोले बड़ा आनंद आएगा । 
                           जय श्री राधे 

गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

व्यापारी ईमानदारी

व्यापारी ईमानदारी :-

                                     ये दोनो शब्द कितने मिल रहे है , कितना (match) है , लेकिन शब्द तो मिल रहे है , अगर ईमानदारी के अंदर व्यापारी हो जाये या व्यापारी के अंदर ईमानदारी हो जाये तो बहुत बढ़िया हो । 
अच्छा आप सोच रहे होगे ईमानदारी के अंदर व्यापारी ये बात समझ मे नही आयी अरे भाई बात एक ही और फिर भी न समझ आए तो अंदर को अंडर कह लीजिए अब तो समझ आ ही गया । 
कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि काम कोई भी हो ईमानदारी से किया जाये तो वो एक सत्कर्म का स्वरूप हो जाता है । 

तो इसलिए कार्य कोई भी हो ईमानदारी से हो तो आप भी प्रसन्न रहेगे और सामने वाला भी प्रसन्न रहेगा । 
        जय श्री राधे 

बुधवार, 26 दिसंबर 2018

कुछ न कुछ सीखते रहो

कुछ न कुछ सीखते रहो :-

                                          हमे सदैव कुछ न कुछ किसी न किसी से सीखते रहना चाहिए । 
लेकिन हमे जो भी सीखना है वो अच्छा सीखना है बुरा नही अपने मतलब का सीखना है , अब ये नही की यहा सीखने की बात कही जा रही है तो आप सोचो कि हा कुछ न कुछ सीखने के लिए कहा गया तो आप किसी को देखकर नशा करना सीख ले , मारना पीटना आदि बुरे काम सीखे नही । 
हमे अच्छी बाते सीखनी है और सिर्फ एक मनुष्य नही किसी भी जीव जन्तु से चाहे वो चीटी हो या मधुमक्खी दत्तात्रेय जी जो भगवान के स्वरूप है उन्होने हमे यही बताया कि हमे सभी से अच्छी बाते सीखनी चाहिएअब आप सोच रहे होगे कि पशु पक्षी से क्या सीखे तो देखिए  चीटी हमे कठिन परिश्रम करना सिखाती है मधुमक्खी परोपकार करना स्वयं मेहनत करके शहद बनाती है और मजे हम लेते है । 
हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी को एक वयक्ति ने पत्र दिया और उसमे गाली ही गाली लिखी थी बापू ने उस पत्र को बड़े ध्यान से पढ़ा और उनके पास रहने वाले वयक्ति को कहा  लो इसे फेक दो उस वयक्ति ने सोचा कि अभी तो बड़े ध्यान से पढ़ रहे थे अब फेकने को कह रहे है तो सोचा देखु क्या लिखा है तो देखा गाली उसे बडा गुस्सा आया है उसने कहा बापू आप इन गलियो को ध्यान से पढ़ रहे थे तो बापू ने बड़े धीरे से कहा नही मै तो अपने मतलब कि चीज ढूढ रहा तो उसने कहा इसमे आपके मतलब का क्या है तो कहा मेरे मतलब कि ये पिन थी जो मैने निकाल ली । 

तो कहने का अर्थ सभी से कुछ अच्छा  सीखे बडों से तो सीखे ही छोटों से भी सीखे । 
                             जय श्री राधे 

मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

मित्रता कैसी हो

मित्रता कैसी हो :-


                       मित्रता कृष्ण और सुदामा जी कें जैसी हो ये मित्रता का सबसे आदर्श और ऊँचा उदाहरण है ।
और आज भी हर जगह इस मित्रता का उदाहरण दिया जाता है । 
तो ऐसा क्या था सुदामा जी की मित्रता मे । तो वो है निस्वार्थ प्रेम देखिए आज कल युवा कहते जरूर है , की ये मेरा बेस्ट फ्रेंड ( best friend ) लेकिन मन मे उनके कैसा भाव है , वो वही जानते है , आज कल की मित्रता धन , स्वार्थ पर टिकी है । 
क्षमा करे मित्रता नही फ्रेंडशिप( friendship ) क्यो कि फ्रेंड वही है जो केवल हमारे धन और तन को देखकर या स्वार्थ से बनते है । 
लेकिन फिर वही बात और  फिर वही उदाहरण मित्रता हो तो सुदामा जी की तरह उस मित्रता मे स्वार्थ नही धन की कोई बात नही केवल निःस्वार्थ प्रेम । 
सुदामा जी जब प्रभु श्री कृष्ण के पास द्वारिका पहुचे तो कृष्ण जी ने ये नही सोचा की हम यहा के राजा है और लोग क्या कहेगे सुदामा जी को गले से लगाया और साथ ही साथ अपने सिंघासन मे बिठाया खुद चरणो मे बैठ गए और चरण पखारे । 

अब आप लोग सोच रहे होगे की हम भी ऐसा करे क्या नही हम ऐसा बिल्कुल नही कहेगे प्रभु के वो मित्र भी थे और ब्राह्मण भी इसलिए प्रभु ने उनके चरण पखारे । लेकिन आज कल हम समझते है मित्रता मे जाति नही देखी जाती ठीक है लेकिन एक भजनन्दी ब्राह्मण वास्तविकता मे पूजनीय है चाहे वो मित्र हो या हमसे उम्र मे छोटा ब्राह्मण हो । 
लेकिन कहने का आशय सिर्फ इतना है आप हम सभी का सच्चा मित्र अगर कोई है , तो केवल प्रभु श्री कृष्ण है और कोई नही जो हर समय आपका साथ देते है,  इसलिए सभी से प्रेम से बात करे फ्रेंड किसी को भी बनाए  लेकिन मित्र तो अपने गोपाल जी को ही बनाए ।          जय श्री राधे 

रविवार, 23 दिसंबर 2018

तिलक क्यो लगाना चाहिए

तिलक क्यो लगाना चाहिए :-

                               हमारे सनातन धर्म मे तिलक का बहुत महत्व है , चाहे वो किसी भी सम्प्रदाय का हो अगर वो वैष्णव है तो ऊर्ध्वपुण्ड्र शैव है अर्थात भोलेनाथ का भक्त है तो त्रिपुण्ड्र और शाक्य है अर्थात देवी माँ का भक्त है तो छोटी सी बिंदु रोली की 

कहने का अर्थ तिलक हर वयक्ति कें लिए बहुत महत्वपूर्ण है , तिलक लगाने कें अनेको फायदे आपने सुने होगे लेकिन फिर भी लोग तिलक न लगाना फैशन समझते है जब की तिलक लगाने वाले कें मुख की सुंदरता तो अलग होती है । 



तिलक लगाने से वयक्ति कें विचार अच्छे होते है तिलक लगाने से वयक्ति का मस्तिष्क तेज होता है । 
हम भारतीय अपने तिलक कें महत्व को भूल गए वही विदेश मे आज लोग तिलक कें महत्व को जानकर तिलक लगाते है । 



इसलिए तिलक हर हिन्दू की शान है , तिलक लगाना हर सनातन धर्म वाले की पहचान है । 


इसलिए बड़े ही नही बल्कि बच्चों को भी तिलक लगवाए भले ही रोली का छोटा सा बिंदु लेकिन तिलक अवश्य लगाए अभी बहुत विस्तार से तिलक की महिमा नही आगे आने वाले ब्लॉक पर फिर चर्चा होगी । 


                 जय श्री राधे 

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

गौ माता की सेवा बड़ी लाभकारी है ।

गौ माता की सेवा बड़ी लाभकारी है -:

                                          जैसा कि आप सभी जानते है की गौ माता की सेवा से बड़ा लाभ है , अच्छा मैने ये लाभ शब्द का प्रयोग इसलिए किया क्यो की आज का वयक्ति बिना लाभ कें तो किसी से बात करना भी नही पसंद करता । 
 



                   


  गौ माता की महिमा हमारे शास्त्रों मे भी गायी गयी है , और हमारे बालकृष्ण लाल ने गौ माता की कितनी सेवा की वो सभी जानते है । 
                            जब कन्हैया ने माँ यशोदा से पहली बार गोचा रण कें लिए कहा तो मईया ने कहा लाला तेरे पाव बड़े कोमल है पादुकाएं तो पहन ले । 
       कन्हैया ने कहा अगर मेरी सभी गइया मईया को पादुकाएं पहनाओ तो मै भी पहनू वरना नही और कन्हैया नंगे पाव गैया मईया कें साथ जाते । 
           लेकिन आज लोग मंदिरो मे तो एक किलो लड्डू का भोग लगा देगे लेकिन गऊ माता कें लिए एक रोटी भी नही निकालते । 

और तो और ठंड कें मौसम मे गऊ माता सड़को पे रात - रात भर घूमती रहती है , और हम सभी दूध तो बड़े आराम से पी लेते है लेकिन गऊ माँ कें बारे मे कभी नही सोचते की उन्हे कितना कष्ट हमारे द्वारा मिल रहा है । 

इसलिए आप सभी से एक ही बात कहेगे की गऊ माँ की सेवा ह्रदय से करे वो आपकी हर अच्छी मनोकामना पूरी करेगी और सिर्फ मनोकामना पूरी करने कें लिए नही बल्कि वो हमारी माँ है इस भाव से सेवा करे । 


              जय श्री राधे 

गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

विनम्रता से जीत

विनम्रता से जीत :-

                                  विनम्रता एक ऐसा गुण है , जिससे दुश्मन भी दोस्त बन जाते है । 
                                  जब हम किसी से विनम्र होकर बाते करते है तो सामने वाले कें भाव ही बदल जाते है , अगर वो आपका काम नही भी करना चाहता था तो करने का मन बना लेता है । 
उसके मन मे यही बात आती है की कितना सज्जन वयक्ति है । 

आज कल कुछ ही लोगो कें अंदर ये वास्तविकता मे गुण बचा है , और बाकी जो है वो केवल स्वार्थ कें लिए घर मे भले ही ऐसे बात करेगे कि मानो बाण सीने कें आर पार हो जाये । 

और जब बाहर लोगो से बात करेगे तो लगेगा बस गरमा गर्म चाशनी मे डूबी हुई जलेबियाँ परोसी जा रही हो । 

लेकिन   कभी कभी ये जलेबियाँ घर मे भी परोसी जाये तो और भी आनंद आएगा और वास्तविकता मे आप विनम्र बन पाऐगे । 

इसलिए इस गुण को अवश्य धारण करने कि कोशिश करे । 

          जय श्री राधे    

ठंडीयो मे नीद अच्छी

ठंडीयो मे नीद अच्छी :-

                                      आज कल ठंड बहुत बढ़ रही है , और ठंड मे नीद बढ़िया आती है , क्यो की जब रूम हीटर की गर्मी मिलती है और कंबल की गर्मी तो नीद तो बढ़िया आनी ही है । 
           





  चलिए उसी गर्मी का मजा लेते हुए एक बार उन छोटे - छोटे बच्चों उन बुजुर्गो के बारे मे सोचिए जो इतनी कड़क ठंड मे भी उन फटे , पतले कपड़ो को पहनकर बिना किसी छाया के रात गुजारते है और नीद तो दूर पूरी रात इधर - उधर घूमकर निकाल देते है और स्कूल भी बिना स्वेटर कें ठंड से कांपते हुए जाते है । 



अच्छी बात है आप ठंड मे भी गर्मी का मजा लेते हुए अपनी नीद पूरी करे लेकिन अपने आस - पास उन बच्चों और जरुरतमंदो को अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ गर्म कपड़े दान करे भले ही नए कपड़े न दे सके तो कुछ थोड़े पुराने ही गर्म कपड़े दे । 

ताकि थोड़ी नीद उनकी भी अच्छी हो जाये । 
                          जय श्री राधे 

मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

गरीबो को भी अच्छा भोजन

गरीबो को अच्छा भोजन :-

                                              हम अपने घरो मे रोज कई प्रकार की सब्जी , दाल , मिठाइयाँ आदि खाते है , और जो बच जाता है उसे कचड़े के डिब्बे मे डाल देते है , लेकिन कभी उन गरीबो के बारे मे हमने सोचा जिनके पास एक वक्त की रोटी भी नसीब नही होती कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन की बात तो दूर । 
          

   और ऐसा भी नही की सब ऐसा करते है , कई लोग आपने घर मे काम करने वालो को भोजन दे देते है अच्छी बात है , लेकिन उनको तो भोजन मिल ही रहा है । 

लेकिन जब आपके घर मे कोई उत्सव हो या कोई त्यौहार हो तो कुछ अच्छा भोजन उन गरीबो को जाकर भी खिलाया करे भले ही  आपके घर मे आने वाले रिश्तेदार या बड़े - बड़े मित्र जो आपका भोजन करके भी कई कमी निकाल देगे बुराइयां करेगे लेकिन वो गरीब आपका भोजन करके आपके लिए भगवान से इतनी प्राथना करेगे जिसका आप अंदाजा भी नही लगा सकते । 
                 तो कुछ अच्छा भोजन गरीबो के लिए होना चाहिए । 
                 

     
                        जय श्री राधे 

सोमवार, 17 दिसंबर 2018

धोती पतली है लेकिन अच्छी है

धोती पतली है , लेकिन अच्छी है :-

                                     हमारी भारतीय पोशाक है , धोती जिसे हमारे ब्राह्मण समाज मे आज भी पहना जाता है , और पूजा मे भी हमारे कई भाई इसे पहन ही लेते है अच्छी बात है जो हमे अपनी संस्कृति का ध्यान है , हमारे भारत मे सभी पुरुष चाहे वो किसी भी जाति के हो धोती - कुर्ता ही पहनते थे । 
                                                      तो भारत मे ये जींस पैंट कब से आया जिसको पहनकर बैठना तो छोड़िए चलना भी मुश्किल होता है । 





 
                         ये जींस तब आया जब विदेशी हमारे भारत मे आए और वो अपनी सभ्यता हमे दे गए और हमने उसे ले लिया एक बात समझ मे नही आती हमने तो उनकी हर परम्परा को अपनाया क्या उन्होने हमारी किसी बात को अपनाया क्या उन्होने धोती पहनना शुरू किया । 
                          तो हमने क्यो अपनी ऋषि परम्पराओं को भुला दिया । 
          धोती पहनने मे थोड़ी ठंड बस लगती है लेकिन ये बात याद रखे हमारे भारतीय सदैव से तपस्वी रहे है , और धोती पहनकर आप आराम से चल सकते है , बैठ सकते है कोई भी कार्य बड़े आराम से कर सकते है । 



         इसलिए कम से कम रोज न पहन सके कोई बात नही लेकिन जब कोई पूजा मे बैठे या कथा सुनने जाये या मंदिर मे जाये तो अवश्य पहने । 
                        जय श्री राधे 

रविवार, 16 दिसंबर 2018

हमारा आदर्श कैसा हो

हमारा आदर्श कैसा हो :-

                                         आदर्श का मतलब है , जिसका हम अनुसरण करे या फॉलो करे 
हमारे आदर्श या आइडीयल का जीवन बहुत महान होना चाहिए जैसे हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के आदर्श हमारे महान ग्रंथ गीता , रामायण थी । 





लेकिन आज कल लोगो से पूछा जाये की आपके आदर्श कौन है , 
तो बड़े गर्व से किसी हीरो या हेरोइन का नाम बता देगे या किसी खिलाड़ी का । 





देखिए मै किसी के विपक्ष मे नही अगर आप उस क्षेत्र मे कार्य कर रहे है , तो हमे अपने बडों से कुछ सीखना चाहिए वो अलग बात है , लेकिन अगर अपने आदर्श की बात आए तो मुझे लगता है , वो कोई साधारण वयक्ति नही वो तो मर्यादा पूर्सोत्त्म श्री राम ही होने चाहिए वैसे तो हमारे माता - पिता हमारे बड़े भी हमारे आदर्श होते है लेकिन कुछ माता - पीता स्वयं ही गलत रास्ते पर होते है तो बच्चे उनसे क्या सीखे खैर सही गलत की पहचान तो आप स्वयं कर सकते है ।  

लेकिन हमारे जीवन का आदर्श कोई छोटे कपड़े वाला या जिसके खुद के चरित्र का कोई ठिकाना नही है ऐसा नही होना चाहिए । 

जीवन मे अच्छा आदर्श बनाए और उनका अनुसरण ( follow )करे । 

          जय श्री राधे 

शनिवार, 15 दिसंबर 2018

राधे राधे कहने की आदत

राधे राधे कहने की आदत :-

                                                    हेलो हाय को छोड़ , जरा राधे राधे बोल । 
हम फोन मे जब बातो की शुरुआत करते है , तो फोन करने वाले और फोन उठाने वाले के मुह से सबसे पहले एक ही शब्द निकलता है , हेलो  युवक तो युवक बड़े बुजुर्ग भी खैर बुजुर्ग लोग तो यही समझते है , की शायद हम हेलो न बोले तो बात ही न हो पाए । 




ऐसा लगता है मानो कि फोन के डिब्बे मे चार्जर के साथ - साथ हेलो भी फ्री मिलता है । 

चलिए ये सब बाते तो बस आपके मुह के एक्सर्साइज़ के लिए थी कि कम से कम थोड़ा फैले थोड़ा सिकुड़े । 
कहने का मतलब बस इतना है , की फोन मे बात करने के लिए हेलो जरूरी नही हमने कुछ विदेशी सभ्यता से प्रभावित लोगो को देखा और कहने लगे । 

ये भारतीयो की पहचान नही ये तो विदेशियो की पहचान है  , जब दो विदेशी मिलते है , तो हेलो , हाय कहते है । 
लेकिन जब दो भारतीय मिलते है , तो क्या कहते है , सीता राम , राधे राधे ये है हमारी पहचान 
तो जब भी फोन मे बाते करे तो राधे राधे सीता राम कहे प्रेम बढ़ेगा । 



         जय श्री राधे 

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

दान का महत्व

दान का महत्व :-

 
                      दान दिए धन न घटहि कर सहाय रघुवीर तुलसी के जल पिबत सो घटहि न सरिता नीर 
बाबा तुलसीदास जी ने कहा हैं , कभी दान देने से धन नही घटता  हैं , ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार किसी नदी से जल पीने से उसका जल नही घटता । 
                                  और दान की बड़ी महिमा हैं , कलयुग मे धर्म का यही एक चरण बाकी रह गया लेकिन लोगो को लगता हैं । 
ये सब पैसे कमाने के ढ़ंग हैं । 
                                          लेकिन सच्चाई यही है , दान करने से आप का ही कल्याण होता है , लेकिन वयक्ति अपने उन अमीर दोस्तो , रिश्तेदारों को तो बड़ी - बड़ी पार्टी दे देते है , उन्हे महंगे - महंगे गिफ्ट दे देते है , लेकिन जिसे सच मे जरूरत है , उन्हे देने मे कई बार सोचते है ये क्या करेगा इस पैसे का कही ये कुछ गलत उपयोग तो नही करेगा आदि । 
                                         लेकिन कभी भगवान ने  सोचा की मै इसे इतना धन दे रहा हू ये क्या करेगा अच्छे ही काम करेगा या सिर्फ अपने परिवार और अपने मे ही खर्च करेगा । 
नही उन्होने हमे दिया है , हमे इस लायक बनाया है , ताकि हम किसी की मदद कर सके । 
और कई बार कहा जाता है , दान सदपात्र को करना चाहिए बिल्कुल जैसे कोई जरूरतमंद , कोई भजन करने वाला ब्राह्मण भजन करने वाले साधु संतो को मंदिरो मे भंडारे इत्यादि मे सहयोग भगवान के कार्यो मे सहयोग गऊ माता की सेवा मे आदि । 
                                  तो खूब दान करे और दान देकर देखे आपको ब्याज सहित वापस मिलेगा लेकिन दान करते समय ये न सोचे की हमे वापस मिले दान अच्छी भावना से करे और हो सके दान देकर ये प्रचार बिल्कुल न करे हमने इतना दिया इतना दान किया गुप्त दान की बड़ी महिमा है । 
                                                जय श्री राधे । 

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

मधुर वाणी

मधुर वाणी :-

                        सभी चाहते हैं , की हमसे विनम्रता से मधुर वाणी मे दूसरा व्यक्ति बात करे भले ही स्वयं किसी से न करे लेकिन दूसरो से उम्मीद यही करते हैं , क्यो की मधुर वाणी सभी को पसंद हैं , 

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय । 




और मीठी वाणी केवल दूसरो को ही नही बल्कि जब आप बोलते हैं तो स्वयं को बड़ा अच्छा लगता हैं । 
और शायद इसलिए कोयल की वाणी सबको प्रिय लगती हैं , भले ही देखने मे कोई खास सुंदर न हो लेकिन वो अपनी मधुर आवाज से सबका दिल जीत लेती हैं । 

और इस वाणी मे इतनी क्षमता दी हैं भगवान ने की इसी के द्वारा विश्व मे युध्द हो जाते हैं , और इसी के द्वारा विश्व मे शांति हो जाती हैं ।  
 तो सबसे मीठी वाणी मे बात करे आपको भी सुख मिलेगा और सुनने वाले को भी । 
                             जय श्री राधे 

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

अतिथि देवो भव

अतिथि देवो भव :-

                                 जो बिना तिथि के या बिना बताए आए वो हैं , अतिथि और जिसके आने की बात पहले से पता हो वो हैं , मेहमान । 
              हमारे शास्त्रों मे अतिथि को भगवान का स्वरूप कहा जाता हैं , लेकिन अब ऐसा भी नही की मेहमान का अपमान करे नही , जो भी हमारे द्वार पर आए उसका सम्मान , स्वागत करना चाहिए । 




             और आज कल तो मोबाइल जैसी सुविधाओ के कारण आने की जानकारी पहले से ही मिल जाती हैं । 
                  ठीक हैं , उनका भी स्वागत करे वैसे तो आज कल रोटियां भी गिनकर ही बनती हैं , तो अतिथि हो या मेहमान बोझ बन जाते हैं । 
                   लेकिन ये बात ध्यान रखे बड़े ही भाग्य से हमारे द्वार पर कोई आता हैं , और वैसे भी किसी को खिलाने से कभी घटता नही बल्कि बढ़ता हैं , और अतिथि का मतलब केवल आपके रिश्तेदार या मित्र नही बल्कि द्वार पर आया एक भिखारी भी अतिथि हैं । 
               इसलिए सबका आदर करे और ये नियम हैं जो हम देगे वही बदले मे मिलेगा । 

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

बेटी का सम्मान हो

बेटी का सम्मान हो :- 

हमारे देश को महान कहा जाता हैं , विश्व गुरु कहा जाता हैं क्यो कहा जाता हैं , क्यो की हमारे देश की संस्क्रति महान हैं , यहा के संस्कार महान हैं । 
यहा नारियो को देवियो का स्वरूप माना जाता हैं , और हमारे शास्त्रों मे भी कहा गया यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रम्न्ते तत्र देवता 
अर्थात जहा नारियो का सम्मान होता हैं , वहा देवता निवास करते हैं । 

लेकिन आज कल भले ही नारिया कई क्षेत्रो मे आगे हो लेकिन अभी भी उन्हे वो अधिकार वो स्वतंत्रता नही प्राप्त आज भी कई खतरे उनके लिए बने हुए हैं । 

हमारे प्रधानमंत्री जी ने भी कई योजनाए शुरू की जिसमे से एक हैं , बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ लेकिन अभी भी बेटियो को न तो बचाया जा रहा न पढ़ाया जा रहा । 


और मुझे तो लगता हैं , बेटियो को पढ़ाने की बजाय बेटो को अधिक पढ़ाना चाहिए और संस्कार देने चाहिए की वो दूसरो की बहन , बेटियो को अपनी बहन बेटी समझे । 
                                      
                 जय श्री राधे 

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

शुध्द आहार

शुध्द आहार :- 

                          कहा जाता हैं जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन्न  हम जैसा भोजन करते हैं वैसे ही हमारे मन मे विचार बनते हैं , और यहा तक कहा जाता हैं , की अगर भोजन बनाने वाले के विचार गलत हैं , या वो गलत बोल रहा हैं , तो उसके विचार भोजन मिल जाते हैं । 
                     इसलिए भोजन बड़ी पवित्रता , स्वच्छता से बनाया जाय । 
           लेकिन लेकिन ये बात तो बहुत दूर की हो गयी आज कल तो लोगो ने दूसरो को मारकर खाना शुरू कर दिया और उसको लोगो ने फैशन समझ लिया और जो नही खाते उन्हे गवार समझा जाता हैं , लेकिन हमारे समाज की ये सबसे बड़ी गलती हैं , और ये विदेशी सभ्यता का प्रभाव हैं , जो हमारे देश मे छा चुका हैं । 
     .                                                                             लेकिन विचार करिए किसी को कष्ट पहुचाकर हम कैसे सुखी हो सकते हैं , कभी नही इसलिए गलत खान - पान छोड़िए और शुध्द शाकाहारी भोजन करे । 





और अगर तुलसीदल डालकर ठाकुर जी को भोग लगाकर प्रसाद पाऐगे तो घर मे सुख , शांति , सम्रद्धि की कमी नही रहेगी । 

                                                                                  जय श्री राधे 

                         

विद्या दान

विद्या दान :-

                    विद्या वो धन हैं जो न चोर चुरा सकता न कोई छीन सकता न ये धन खर्च करने पर घटता हैं , बल्कि दान करने पर यह धन बढ़ता हैं । 









                लेकिन आज कल विद्या का दान नही किया जाता आज कल तो विद्या बेची जाती हैं , और जो धनवान हैं ,वो अच्छे खासे मूल्य पर खरीद रहे हैं और जिसके पास धन नही हैं वो इसे नही खरीद पाते । 
    और शायद इसलिए हमारे देश मे छोटे - छोटे बच्चे मजदूरी करने पर मजबूर हो जाते हैं ,  इसकी वजह से बेरोजगारी भी बढ़ रही हैं । 
                                                इस बात को भी मानने से हम मना नही कर सकते की बिना दच्छिना के विद्या नही आती ।   ठीक हैं तो बच्चे की जितनी सामर्थ्य हो वैसी ही दच्छिना लेनी चहिए । 
             जिससे हर ग़रीब बच्चा भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके । 
                      तो जो भी विद्या आपको प्रभु कृपा से मिली है तो उसका दान करे ।       जय श्री राधे 

शिक्षा गुरु

शिक्षा गुरु -

                  शिक्षा गुरु और दीक्षा गुरु मे कोई भेद नही गुरु तो गुरु हैं , जिनसे हमे कुछ सीखने को मिलता हैं वो हैं शिक्षा गुरु दीक्षा गुरु वो हैं जो हमे भगवान से जोड़ते हैं । 






                                                                लेकिन हम बात कर रहे हैं शिक्षा गुरु की जो हमे स्कूल , कॉलेज मे पढ़ाते हैं ।  

लेकिन आज कल न तो टीचर अपनी जिम्मेदारी समझते न ही बच्चे
टीचर समझते हैं हमे तो पैसा कमाना हैं और बच्चे तो बच्चे होते हैं शिक्षा गुरु वो हैं जो बच्चों को उनके विषय के बारे मे तो बताए साथ ही साथ अपने देश की संस्कृति के बारे मे भी बताए ।  
क्यो की बच्चे अपने बडों से ही सब कुछ सीखते हैं । 

बच्चों को प्यार से पढ़ाए मार से नही सजा दे लेकिन उचित तरीके से न की बहुत ज्यादा परेशान करके । 
कई बार क्या होता हैं बच्चे कुछ गलती कर देते हैं तो टीचर बच्चों से बदले की भावना रखने लगते हैं । 
                                           वो ये नही समझते की ये तो बच्चे हैं गलती तो हो जाती हैं बडों का काम हैं समझाना उन्हे सही बात बताना । 

               जय श्री राधे 

रविवार, 9 दिसंबर 2018

विद्या ददाति विनयं

विद्या ददाति विनयं

आज कल इस श्लोक का अर्थ पूरी तरह से बदलता जा रहा हैं क्यो की आज कल कॉनवेन्ट स्कूलो मे बच्चो को ये तो सिखाया  जाता हैं की अंग्रेजी कैसे बोले लेकिन विनम्रता से कैसे बोले । 


कई बार ऐसा होता हैं की जब हम बडों से बात करते हैं कुछ ऊंची आवाज मे तो कहते हैं तुम्हारे स्कूल मे यही सिखाया जाता हैं क्यो की विद्या प्राप्त करने का अर्थ यही हैं की जीवन मे विनय आ जाता हैं । 
तभी हमारे देश मे महात्मा गांधी जैसे अन्य महापुरुष हुए और अपने चरित्र के कारण राष्ट्रपिता कहलाए । 


लेकिन आज कल की शिक्षा चित्र का निर्माण करती हैं और वैदिक शिक्षा चित्र के साथ - साथ चरित्र का निर्माण करती हैं । 

                                                                    जय श्री राधे 


शनिवार, 8 दिसंबर 2018

राधे राधे

जै श्री राधे 

इस ब्लॉग को बनाने का उद्देश्य कुछ हमारी संस्कृति संस्कारों  से जुड़ना है साथ ही साथ युवाओं को अपने संस्कारो से जोड़ना हैं !

आज की युवा पीढ़ी अपने संस्कारो को भूलती जा रही हैं लेकिन ऐसा भी नही हैं की उनकी रूचि नही हैं इन सब मे रूचि हैं लेकिन बस एक सही राह दिखाने की कमी हैं !

जैसे आज कल लोगो की ये सोच बन चुकी है की नशा करना एक अच्छा काम है और अगर जो नही करते उन्हे गवार देहाती समझा जाता है लेकिन ये बात सभी जानते है की नशा करना बुरा ह
हैं ।
अच्छा आपने कभी किसी छोटे बच्चे को कहा की ये लो थोड़ी तुम भी पी लो !  नही क्यो की हमे पता हैं की ये इनके लिए अच्छा नही हैं । फिर भी हम उसी गलत चीज को अपनी आदत बना लेते हैं और इसके कितने नुकसान हैं वो भी हम जानते हैं लेकिन अग्रेजो ने हमारे देश मे ये ऐसी बुरी आदत डाली की वो तो चले गए लेकिन ये गलत आदते छोड़ गए और उसे हम आज भी कर रहे हैं सही मायने मे तो हमारा देश तब आजाद होगा जब हम इन गलत आदतों को छोड़ पाऐगे !

                  जै श्री राधे